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Nirjala Ekadashi 2024: निर्जला एकादशी का व्रत 18 जून, मंगलवार को मनाया जाएगा। पुरी के ज्योतिषाचार्य Sandeep Sharma के अनुसार, निर्जला एकादशी एक ऐसा व्रत है जिसे सभी लोगों को अवश्य रखना चाहिए। निर्जला एकादशी के दिन जल का दान क्यों करना चाहिए?

Nirjala Ekadashi 2024:

इस साल निर्जला एकादशी का व्रत 18 जून, मंगलवार को मनाया जाएगा। यह व्रत ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को रखा जाता है। इस बार यह तिथि 17 जून, सोमवार को 04:43 AM से 18 जून, सोमवार को 07:28 AM तक रहेगी। ज्योतिषाचार्य Sandeep Sharma के अनुसार, निर्जला एकादशी एक ऐसा व्रत है जिसे सभी लोगों को अवश्य रखना चाहिए।

पांच पांडवों में से एक भीमसेन ने भी इस व्रत को रखा था, जबकि वह किसी भी दिन बिना भोजन के नहीं रहते थे। लेकिन उन्होंने बिना अन्न और जल के इस व्रत को किया। इस से आपको यह अंदाजा लग गया होगा कि यह व्रत कितना महत्वपूर्ण है। यहाँ कुछ कारण हैं जो इस व्रत के महत्व को समझाते हैं:

क्यों रखना चाहिए निर्जला एकादशी व्रत ?

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, Nirjala Ekadashi एक ऐसा व्रत है जिसको करने से आपको पूरे साल के सभी 24 एकादशी व्रतों का पुण्य लाभ प्राप्त हो सकता है। इस व्रत का महत्व इसमें है कि यह व्रत एक बार रखने से आपको पूरे वर्ष के अन्य सभी एकादशी व्रतों के फल को प्राप्त करने का समान माना जाता है। इस तरह, निर्जला एकादशी के व्रत से आप उच्च पुण्य और आध्यात्मिक उन्नति का लाभ उठा सकते हैं।

जो व्यक्ति Nirjala Ekadashi का व्रत रखता है, उसके सभी पाप मिट जाते हैं क्योंकि उस पर भगवान विष्णु की कृपा होती है। इस व्रत के द्वारा, व्यक्ति अपने मन, वाणी, और कर्मों को पवित्र बनाता है और भगवान की आराधना में लगा रहता है। जीवन के अंत में, उसे हरि कृपा से मोक्ष की प्राप्ति होती है और उसे बैकुंठ में स्थान प्राप्त होता है। इस व्रत का पालन करने से, व्यक्ति के द्वारा आत्मा को ऊर्जावान और शुद्ध बनाया जाता है, जो कि उसे दिव्य लोकों की ऊँचाइयों तक पहुंचाता है।

भीमसेन ने भी रखा था Nirjala Ekadashi व्रत

पौराणिक कथा के अनुसार, भीमसेन को इस बात की चिंता हुई कि माता कुंती और उनके बाकी चार भाई सभी एकादशी व्रत रखते हैं, लेकिन भूख के कारण वे व्रत नहीं रख पाते हैं। यदि वे व्रत नहीं करेंगे तो उन्हें मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति नहीं होगी, और उनके पाप नहीं मिटेंगे। इस डर से उन्होंने वेद व्यास जी से इसका समाधान पूछा। तब उन्हें कहा गया कि वे एक बार निर्जला एकादशी का व्रत रखें।

इसमें एकादशी के सूर्योदय से द्वादशी के सूर्योदय तक अन्न और जल ग्रहण नहीं करना चाहिए। इस व्रत को करने से सभी एकादशी व्रतों का पुण्य लाभ मिल जाता है। भीमसेन ने विधिपूर्वक निर्जला एकादशी का व्रत रखा, जिससे उन्हें जीवन के अंत में स्वर्ग की प्राप्ति हुई। भीमसेन ने यही एक मात्र व्रत रखा था, इसलिए इसे भी भीमसेनी एकादशी कहा जाता है।

Nirjala Ekadashi पर जल दान क्यों करना चाहिए?

Nirjala Ekadashi के दिन जल का दान करना अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन, एक कलश में पानी भरकर किसी जरूरतमंद या गरीब ब्राह्मण को दान करें। ऐसा करने से विभिन्न प्रकार की समस्याओं से मुक्ति मिल सकती है। जल का दान करने से आर्थिक संकट, गृह क्लेश, और रोगों से निजात पाई जा सकती है। इसके अलावा, जल का दान करने से पितृ दोष और कुंडली के चंद्र दोष से भी मुक्ति मिलती है। इस प्रकार, निर्जला एकादशी पर जल का दान आपके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाता है।

ज्येष्ठ के महीने में जल दान करने से विशेष पुण्य मिलता है। इस माह में सूर्य की तपिश अधिक होती है, जिससे राहगीरों, पशु-पक्षियों को पानी पिलाना अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है। यह एक अत्यंत पुण्यकारी कर्म है, जो न केवल दूसरों की प्यास बुझाता है, बल्कि आपके जीवन में भी सकारात्मक ऊर्जा और शांति लाता है। निर्जला एकादशी के दिन जल दान का महत्व और भी बढ़ जाता है, क्योंकि इस दिन का पुण्य लाभ कई गुना बढ़ जाता है।



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